हिंदी में अब ज़रा और आत्म-विश्वास के साथ लिखने लगी हूँ। कविता या नाटक लिखने में कभी कोई ख़ास हिचक नहीं हुई मगर, हाँ, गद्द्य लिखते हिचकिचाती थी। अब नहीं। उम्मीद है, कॉलम अब नियमित रूप से लिखती रहूँगी।
ये रहा एक छोटा सा लेख, औरत और जिस्म के बालों के सन्दर्भ में:
वैक्सिंग से केवल लड़कियों की देह के बाल ही नहीं टूटते
http://hindi.firstpost.com/culture/why-waxing-shaving-threading-body-hair-removal-means-for-women-and-girls-nk-14219.html
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