नये साल की पहली सुबह में एक चौराहे के टिकोण पे बैठे हैं चार आदमी और पाँचवा खड़ा है, हाथों में अख़बार यूँ लिए जैसे वक़्त की चादर ओढ़ने जा रहा हो।
नये साल में एक टैक्सी-वाला इनकार करता है और दूसरा तैय्यार हो जाता है, मगर स्टेशन के क़रीब जाम देख के उतार देता है मंज़िल से ज़रा दूर।
नये साल में एक बूढ़ी औरत दामन फैलाए स्टेशन की सीढ़ियों पर बैठी मिलती है, नज़रंदाज़ क़दमों की महफ़िल के बीच भी, बाहर भी।
नये साल में सुबह पौने दस बजे मिठाई की दुकान पे पहुँच गयी है कोई, जाने किस बात की ख़ुशी मनाने। मालूम होता है ये साल कुछ नया ही होगा
नये साल में एक टैक्सी-वाला इनकार करता है और दूसरा तैय्यार हो जाता है, मगर स्टेशन के क़रीब जाम देख के उतार देता है मंज़िल से ज़रा दूर।
नये साल में एक बूढ़ी औरत दामन फैलाए स्टेशन की सीढ़ियों पर बैठी मिलती है, नज़रंदाज़ क़दमों की महफ़िल के बीच भी, बाहर भी।
नये साल में सुबह पौने दस बजे मिठाई की दुकान पे पहुँच गयी है कोई, जाने किस बात की ख़ुशी मनाने। मालूम होता है ये साल कुछ नया ही होगा
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